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Bharatiya Arthvyavastha (भारतीय अर्थव्यवस्था)

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CSO द्वारा वित्तीय वर्ष २०२१-२२ के लिए जारी किए गए दूसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार गाठ वर्ष, वास्तविक सरल घरेलु उत्पाद की संवृद्धि दर ८.७ प्रतिशत रही। इस प्रकार भारत में वास्तविक संवृद्धि की दर अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक रही। यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब पुनरुत्थान के मार्ग पर अग्रसर है। परन्तु कुछ चुनोतियाँ अभी भी है। खुदरा मुद्रा स्फीति की दर लगभग ८ प्रतिशत हो गई है, गरीबों की संख्या अत्याधिक है, बेरोजगारी व्यापक स्तर पर मौजूद है तथा कुपोषण व अल्पपोषण से अभी भी भारत कि जनसंख्या का बड़ा भाग जूझ रहा है। रिजर्व बैंक द्वारा २८ अप्रैल २०२२ को प्रकाशित ‘Report on currency and Finance’ के अनुसार COVID -१९ के प्रभाव से पूरी तरह से उबरने के लिए अभी १० वर्ष से भी अधिक समय लगेगा।

पुस्तक के इस पैंतीसवें संस्करण में हमने इन सब विषयों पर विभिन्न अध्यायों में चर्चा की है। पूरी पुस्तक में 58 अध्याय है जो सात भागों में विभाजित है पहले भाग में तीन अध्याय है जिनमें आर्थिक संवृद्धि एवं विकास की संकल्पनाओं, मानव विकास, तथा पर्यावरण संरक्षण पर प्रकाश डाला गया है। दूसरे भाग में बारह अध्याय है। इस भाग में भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वरूप, प्राकृतिक संसाधनों, मानव संसाधनों, आधारिक संरचना, जनसंख्या की समस्या, व्यावसायिक संरचना, आय असमानताओं, बेरोजगारी व गरीबी की समस्या, भारत में पूँजी निर्माण, तथा भारतीय राष्ट्रीय आय की प्रवृत्तियों का विस्तार से विवेचन किया गया है। तीसरा भाग कृषि से संबध्द है। इस भाग में दस अध्याय है जिनमें भारतीय कृषि के स्वरूप, भारतीय कृषि नीति, विश्व व्यापार संगठन के संदर्भ में भारतीय कृषि को चुनौतियों, कृषि उत्पादन व उत्पादकता की प्रवृत्तियों, भूमि सुधार, कृषि वित्त, कृषि कीमत निति, खाद्य सुरक्षा व सार्वजनिक वितरण प्रणाली, खेतिहर मजदूरों की समस्या इत्यादि पर विस्तारपूर्वक विचार किया गया है। चौथा भाग उद्योग व सेवा क्षेत्र से संबध्द है। इसमें दस अध्याय है। इनमें योजनाकाल के दौरान औद्योगिक विकास की प्रवृत्तियों, औद्योगिक निति, सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों की भूमिका, निजीकरण की नीति, कुछ प्रमुख उद्योगों के विकास, लघु व कुटीर उद्योगों की भूमिका व निष्पादन, औद्योगिक अस्वस्थता, औद्योगिक वित्त, औद्योगिक श्रमिकों की समस्याओं तथा भारत के आर्थिक विकास में सेवा क्षेत्र की भूमिका का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। पांचवा भाग विदेशी व्यापार से संबध्द है। पांचवा भाग विदेशी व्यापार से संबध्द है। इस भाग में छः अध्याय है। इनमें भारतीय विदेशी व्यापार की संरचना व दिशा, भुगतान शेष की प्रवृत्तियों, भारत सरकार की विदेश व्यापार नीति, विदेश पूँजी से सम्बंधित नीति, बहुराष्ट्रीय निगमों व विदेशी विनिमय प्रबन्धन अधिनियम विश्व व्यापार संगठन, इत्यादि का विस्तृत आलोचनात्मक अध्ययन किया गया है। पुस्तक का छठा भाग ‘मुद्रा, बैंकिंग और लोकवित्त’ से संबंधित है। इसमें दस अध्ययन है जिनमें योजनाकाल में कीमतों की प्रवृत्ति, भारतीय मुद्रा बाजार, पूंजी बाजार, व्यापारिक बैंकिंग, भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय कर ढाँचा, लोक व्यय, सार्वजनिक ऋण, राजकोषीय नीति और केंद्र राज्य संबंधों पर विस्तृत व विश्लेषणात्मक चर्चा प्रस्तुत की गई है। इसमें पन्द्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशों का विवरण भी दिया गया है। पुस्तक के सातवें तथा अंतिम भाग में नौ अध्याय है। जिनमें भारत के आयोजन इतिहास का विस्तृत विवरण दिया गया है तथा उसका आलोचनात्मक मूल्यांकन किया गया है। इस भाग में काले धन की समस्या पर भी विचार किया गया है (अध्याय ५८) जिसमें अन्य विषयों के अलावा, विमुद्रीकरण की नीति पर भी विस्तृत चर्चा की गई है। पुस्तक के अंतिम अध्याय (अध्याय ६०) में कोरोना के भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव का विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।

विषय सूचि –

भाग I : आर्थिक संवृद्धि और विकास: एक सैद्धांतिक विवेचन
१. आर्थिक संवृद्धि, विकास और अल्पविकास
२. आर्थिक और मानव विकास
३. पर्यावरण तथा विकास
भाग II : भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना
४. उपनिवेशवाद और अल्पविकास
५. भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वरूप
६. प्राकृतिक संसाधन
७. आर्थिक संरचना
८. जनसंख्या और आर्थिक विकास
९. व्यावसायिक संरचना और शहरीकरण
१०. मानव संसाधन विकास – शिक्षा तथा स्वास्थ्य
११. भारत में रोजगार एवं बेरोजगारी
१२. भारत में पूंजी निर्माण
१३. भारत की राष्ट्रीय आय
१४. भारत में आय और असमानताएं
१५. भारत में गरीबी
भाग III : कृषि क्षेत्र का विकास व समस्याएं
१६. भारतीय कृषि: भूमिका, स्वरूप तथा फसलों का ढांचा
१७. भारतीय कृषि नीति के विभिन्न पहलू और चुनौतियां
१८. कृषि उत्पादन तथा उत्पादकता
१९. भूमि सुधार
२०. कृषि आगत और हरित क्रांति
२१. कृषि वित्त
२२. कृषि पदार्थों का विपणन
२३. कृषि कीमतें और कृषि कीमत निति
२४. भारत में खाद्य सुरक्षा एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली
२५. खेतिहर मजदूर
भाग IV : भारत में औद्योगिक क्षेत्र तथा सेवा क्षेत्र
२६. योजनाकाल में भारत का औद्योगिक विकास
२७. औद्योगिक नीति
२८. भारत में सार्वजनिक क्षेत्र और निजीकरण की नीति
२९. प्रमुख बड़े उद्योग
३०. लघु तथा कुटीर उद्योग
३१. निजी क्षेत्र से संबंधित मुद्दे
३२. भारत में औद्योगिक अस्वस्थता
३३. औद्योगिक वित्त
३४. औद्योगिक श्रम
३५. भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र
भाग V : विदेश व्यापार
३६. भारत का विदेशी व्यापार: मूल्य, संरचना और दिशा
३७. भुगतान शेष
३८. भारत सरकार की व्यापार नीति
३९. विदेशी पूँजी और सहायता
४०. बहुराष्ट्रीय निगम, विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम तथा विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम
४१. भूमंडलीकरण और विश्व व्यापार संगठन
भाग VI : मुद्रा, बैंकिंग और लोकवित्त
४२. भारत में मुद्रा की पूर्ति और कीमतें
४३. भारतीय मुद्रा बाजार
४४. भारतीय पूँजी बाजार
४५. भारत में वाणिज्यिक बैंकिंग
४६. भारतीय रिजर्व बैंक
४७. भारतीय कर ढांचा
४८. भारत में लोक व्यय
४९. भारत का सार्वजनिक ऋण
५०. भारत की राजकोषीय नीति
५१. केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध
भाग VII : आर्थिक आयोजन तथा विकास
५२. आर्थिक आयोजन: तर्काधार, विशेषताएं एवं उद्देश्य
५३. आयोजन की युक्ति
५४. भारत में काले धन की समस्या
५५. स्वतंत्रता के ७५ वर्ष: आर्थिक निष्पादन की समीक्षा
५६. आर्थिक सुधार तथा उदारीकरण
५७. कोरोना और भारतीय अर्थवयवस्था
५८. केंद्रीय बजट २०२३-२४

ISBN

Year of publication

2023

Edition

Thirty Fifth

Pages

732

Weight

1404 (In Grams)

Library Dollar Price

100

Type

Book Code

,

Author

Bharat Garg,

S. K. Misra,

V.K. Puri

Publisher

Himalaya pub