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भारतीय अर्थव्यवस्था (Bhartiya Arthvyavavstha)

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जीडीपी के संदर्भ में, भारत वर्तमान में अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान के बाद दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है| कुछ ही महीनों में यह जापान को पीछे छोड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और फिर लगभग तीन साल में जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा | उसके बाद, यह कम लंबे समय तक अपरिवर्तित रहने की संभावना है, जिसमें अमेरिका सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा, उसके बाद चीन और फिर भारत का स्थान होगा | हालांकि, प्रति व्यक्ति आय के संदर्भ में, भारत के उन्नत देशों से काफी पीछे रहने की संभावना है, जैसा कि इस तथ्य से स्पष्ट है कि 2023 में इसकी प्रति व्यक्ति जी एन आई केवल 2,540 डॉलर थी, जबकि उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं के प्रति व्यक्ति जी एन आई 48,224 डॉलर और उच्च मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं की प्रति व्यक्ति जी एन आई 10,588 डॉलर थी | हालांकि प्रधानमंत्री ने 2047 तक भारत को उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है, जो कि भारतीय स्वतंत्रता का 100वां वर्ष है, लेकिन इस लक्ष्य को प्राप्त करने की संभावना कम है | भारत के निम्न मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था बने रहने की संभावना है, तथा उच्च मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था बनने के लिए उसे कड़ा संघर्ष करना होगा | इसके अलावा, उसे सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के 17 लक्ष्यों तथा संबंधित 169 लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भी अपने प्रयासों को तेज करना होगा, जो 2015 में अपनाए गए सतत विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र के 2030 एजेंडे का हिस्सा है, क्योंकि अब लक्ष्यों को पूरा करने के लिए केवल छह वर्ष शेष रह गए हैं | अपनी पुस्तक के वर्तमान संशोधित संस्करण में हमने भारत के विकास से संबंधित सभी मुद्दों पर विचार किया है तथा रोजगार बढ़ाने, आय असमानताओं को कम करने, शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार लाने तथा क्षेत्रीय क्षमताओं को कम करने की नीति पर प्रभावी चर्चा की है | वर्तमान संस्करण का संगठन, संरचना तथा विषय-वस्तु इस प्रकार है :

पुस्तक में 59 अध्याय (अनुपूरक अध्याय सहित) हैं जो सात भागों में विभाजित है | पहले भाग में तीन अध्याय हैं जिनमें आर्थिक संवृद्धि एवं विकास की संकल्पनाओं, मानव विकास तथा पर्यावरण संरक्षण पर प्रकाश डाला गया है | दूसरे भाग में बारह अध्याय हैं | इस भाग में भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वरूप, प्राकृतिक संसाधनों, मानव संसाधनों, आधारिक संरचना, जनसंख्या की समस्या, व्यावसायिक संरचना, आय असमानताओं, बेरोजगारी व गरीबों की समस्या, भारत में पूँजी निर्माण, तथा भारतीय राष्ट्रीय आय की प्रवृत्तियों का विस्तार से विवेचन किया गया है| तीसरा भाग कृषि से सम्बन्धित है | इस भाग में दस अध्याय हैं जिनमें भारतीय कृषि के स्वरूप, भारतीय कृषि नीति, विश्व व्यापार संगठन के संदर्भ में भारतीय कृषि को चुनौतियों, कृषि उत्पादन व उत्पादकता की प्रवृत्तियों, भूमि सुधार, कृषि वित्त, कृषि कीमत नीति, खाद्य सुरक्षा व सार्वजनिक वितरण प्रणाली, खेतिहर मजदूरों की समस्या इत्यादि पर विस्तारपूर्वक विचार किया गया है | चौथा भाग उद्योग व सेवा क्षेत्र से सम्बन्धित है | इसमें दस अध्याय हैं | इनमें योजनाकाल के दौरान औद्योगिक विकास की प्रवृत्तियों, औद्योगिक नीति, सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों की भूमिका, निजीकरण की नीति, कुछ प्रमुख उद्योगों के विकास, लघु व कुटीर उद्योगों की भूमिका व निष्पादन, औद्योगिक अस्वस्थता, औद्योगिक वित्त, औद्योगिक श्रमिकों की समस्याओं तथा भारत के आर्थिक विकास में सेवा क्षेत्र की भूमिका का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है| पांचवां भाग विदेशी व्यापार से सम्बन्धित है | इस भाग में छः अध्याय हैं | इनमें भारतीय विदेशी व्यापार की संरचना व दिशा, भुगतान शेष की प्रवृत्तियों, भारत सरकार की विदेश व्यापार नीति, विदेशी पूँजी से सम्बन्धित नीति, बहुराष्ट्रीय निगमों व विदेशी विनिमय प्रबन्धन अधिनियम, विश्व व्यापार संगठन, इत्यादि का विस्तृत आलोचनात्मक अध्ययन किया गया है | पुस्तक का छठा भाग ‘मुद्रा, बैंकिंग और लोकवित्त’ से सम्बन्धित है | इसमें दस अध्याय हैं जिनमें योजनाकाल में कीमतों की प्रवृत्ति, भारतीय मुद्रा बाजार, पूँजी बाजार, व्यापारिक बैंकिंग, भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय कर ढाँचा लोक व्यय, सार्वजनिक ऋण, राजकोषीय नीति और केन्द्र-राज्य सम्बन्धों पर विस्तृत व विश्लेषणात्मक चर्चा प्रस्तुत की गई है | इसमें पन्द्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशों का विवरण भी दिया गया है | पुस्तक का अंतिम भाग (भाग VII) ‘आर्थिक योजना और नीति’ पर है | इसमें सात अध्याय हैं | योजना के तर्काधार, विशेषताओं और उद्देश्यों की चर्चा से शुरू करते हुए, हमने विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में परिकल्पित विकास की रणनीति पर चर्चा की है | इसके बाद काले धन की समस्या (नोटबंदी पर चर्चा सहित), स्वतंत्रता के बाद की अवधि में आर्थिक प्रदर्शन का आकलन, आर्थिक सुधारों और उदारीकरण की चर्चा, भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड -19 महामारी का प्रभाव, पर चर्चा की गई है | 58 वें अध्याय में 1 फरवरी 2024 को प्रस्तुत किए गए अंतरिम केंद्रीय बजट 2024-25 की विस्तृत चर्चा और मूल्यांकन किया गया है | अंतिम तथा अनुपूरक अध्याय में 23 जुलाई 2024 को प्रस्तुत किए गए केंद्रीय बजट 2024-25 की विस्तृत चर्चा की गई है |

विषय सूचि –

भाग I : आर्थिक संवृद्धि और विकास: एक सैद्धांतिक विवेचन
१. आर्थिक संवृद्धि, विकास और अल्पविकास
२. आर्थिक और मानव विकास
३. पर्यावरण तथा विकास
भाग II : भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना
४. उपनिवेशवाद और अल्पविकास
५. भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वरूप
६. प्राकृतिक संसाधन
७. आर्थिक संरचना
८. जनसंख्या और आर्थिक विकास
९. व्यावसायिक संरचना और शहरीकरण
१०. मानव संसाधन विकास – शिक्षा तथा स्वास्थ्य
११. भारत में रोजगार एवं बेरोजगारी
१२. भारत में पूँजी निर्माण
१३. भारत की राष्ट्रीय आय
१४. भारत में आय और असमानताएं
१५. भारत में गरीबी
भाग III : कृषि क्षेत्र का विकास व समस्याएं
१६. भारतीय कृषि: भूमिका, स्वरूप तथा फसलों का ढांचा
१७. भारतीय कृषि नीति के विभिन्न पहलू व चुनौतियां
१८. कृषि उत्पादन तथा उत्पादकता
१९. भूमि सुधार
२०. कृषि आगत और हरित क्रांति
२१. कृषि वित्त
२२. कृषि पदार्थों का विपणन
२३. कृषि कीमतें और कृषि कीमत निति
२४. भारत में खाद्य सुरक्षा एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली
२५. खेतिहर मजदूर
भाग IV : भारत में औद्योगिक क्षेत्र तथा सेवा क्षेत्र
२६. योजनाकाल में भारत का औद्योगिक विकास
२७. औद्योगिक नीति
२८. भारत में सार्वजनिक क्षेत्र और निजीकरण की नीति
२९. प्रमुख बड़े उद्योग
३०. लघु तथा कुटीर उद्योग
३१. निजी क्षेत्र से संबंधित मुद्दे
३२. भारत में औद्योगिक अस्वस्थता
३३. औद्योगिक वित्त
३४. औद्योगिक श्रम
३५. भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र
भाग V : विदेश व्यापार
३६. भारत का विदेशी व्यापार: मूल्य, संरचना और दिशा
३७. भुगतान-शेष
३८. भारत सरकार की व्यापार नीति
३९. विदेशी पूँजी और सहायता
४०. बहुराष्ट्रीय निगम, विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम तथा विदेशी विनिमय प्रबन्धन अधिनियम
४१. भूमंडलीकरण और विश्व व्यापार संगठन
भाग VI : मुद्रा, बैंकिंग और लोकवित्त
४२. भारत में मुद्रा की पूर्ति और कीमतें
४३. भारतीय मुद्रा बाजार
४४. भारतीय पूँजी बाजार
४५. भारत में वाणिज्यिक बैंकिंग
४६. भारतीय रिजर्व बैंक
४७. भारतीय कर ढांचा
४८. भारत में लोक व्यय
४९. भारत का सार्वजनिक ऋण
५०. भारत की राजकोषीय नीति
५१. केंद्र-राज्य वित्तीय सम्बन्ध
भाग VII : आर्थिक आयोजन तथा विकास
५२. आर्थिक आयोजन: तर्काधार, विशेषताएं एवं उद्देश्य
५३. आयोजन की युक्ति
५४. भारत में काले धन की समस्या
५५. स्वतंत्रता के ७५ वर्ष: आर्थिक निष्पादन की समीक्षा
५६. आर्थिक सुधार तथा उदारीकरण
५७. कोरोना और भारतीय अर्थवयवस्था
५८. केंद्रीय बजट २०२४-२५

अनुपूरक अध्याय

ISBN

Year of publication

2024

Edition

Thirty Sixth

Pages

820

Weight

1506 (In Grams)

Book Code

,

Student Dollar Price

36

Library Dollar Price

100

Type

,

Author

Bharat Garg,

S. K. Misra,

V.K. Puri

Publisher

Himalaya pub