Look Inside

भारतीय अर्थव्यवस्था (Bhartiya Arthvyavavstha)

998.002,495.00

SKU: 53a1c09d26ae Category:

भारत का जीडीपी वर्ष २०२५ में जापान के जीडीपी को हल्के अंतर से पार करने का अनुमान है (भारत का ४.१९७ ट्रिलियन डॉलर बनाम जापान का ४.१९६ ट्रिलियन डॉलर), जिससे यह अमेरिका चीन और जर्मनी के बाद विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा | पिछले दो दशकों में औसतन ६-७ प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर ने इसे संभव बनाया है। कुछ झटकों और वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है और दशक के अंत से पहले जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है। हालांकि, प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत विश्व रैंकिंग में सबसे नीचे के देशों में शामिल है। मूल्य आधारित प्रति व्यक्ति जीडीपी के रूप में २,८७८.४ डॉलर पर भारत १९७ देशों में से १४१ वे स्थान पर है जबकि क्रय शक्ति समानता (PPP) के आधार पर प्रति व्यक्ति जीडीपी के मामले में इसकी रैंक ११९ वी है। मानव विकास के संदर्भ में, ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट २०२५ के अनुसार भारत १९३ देश में से १३० वे स्थान पर है। इसके अलावा, भारत की १६.४ प्रतिशत जनसंख्या (यानी २३.३७ करोड़ लोग) बहुआयामी गरीबी में जीवनयापन करती है, जिनमें से ४.२ प्रतिशत (लगभग ६ करोड लोग) गंभीर बहुआयामी गरीबी में है। इसके अतिरिक्त, १८.७ प्रतिशत जनसंख्या बहुआयामी गरीबी में फंसने की आशंका से गिरी हुई है।

हमारी पुस्तक के वर्तमान संशोधित और अद्यतन संस्करण में, हमने भारत के विकास से संबंधित सभी मुद्दों पर विचार किया है और स्पष्ट रूप से प्रभावी नीतियों की आवश्यकता को सामने रखा है जिनका उद्देश्य रोजगार बढ़ाना, आय असमानताओं को कम करना, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार करना तथा क्षेत्रीय विषमताओं को घटना है। वर्तमान संस्करण का संगठन, संरचना तथा विषय-वस्तु इस प्रकार है:

पुस्तक में ५७ अध्याय है जो सात भागों में विभाजित है। पहले भाग में तीन अध्याय हैं जिनमें आर्थिक संवृध्दि एवं विकास की संकल्पनाओं, मानव विकास तथा पर्यावरण संरक्षण पर प्रकाश डाला गया है। दूसरे भाग में बारह अध्याय है। इस भाग में भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वरूप, प्राकृतिक संसाधनों, मानव संसाधनों, आधारिक संरचना, जनसंख्या की समस्या, व्यावसायिक संरचना, आय और असमानताओं, बेरोजगारी व गरीबी की समस्या, भारत में पूंजी निर्माण, तथा भारतीय राष्ट्रीय आय की प्रवृत्तियों का विस्तार से विवेचन किया गया है। तीसरा भाग कृषि से संबंधित है। इस भाग में दस अध्याय हैं जिनमें भारतीय कृषि के स्वरूप, भारतीय कृषि नीति, विश्व व्यापार संगठन के संदर्भ में भारतीय कृषि को चुनौतियों, कृषि उत्पादन व उत्पादकता की प्रवृत्तियों, भूमि सुधार, कृषि वित्त, कृषि कीमत नीति, खाद्य सुरक्षा व सार्वजनिक वितरण प्रणाली, खेतिहर मजदूरों की समस्या इत्यादि पर विस्तारपूर्वक विचार किया गया है। चौथा भाग उद्योग व सेवा क्षेत्र से संबंधित है। इसमें दस अध्याय हैं। इनमें योजनाकाल के दौरान औद्योगिक विकास की प्रवृत्तियों, औद्योगिक नीति, सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों की भूमिका, निजीकरण की नीति, कुछ प्रमुख उद्योगों के विकास, लघु व कुटीर उद्योगों की भूमिका व निष्पादन, औद्योगिक अस्वस्थता, औद्योगिक वित्त, औद्योगिक श्रमिकों की समस्याओं तथा भारत के आर्थिक विकास में सेवा क्षेत्र की भूमिका का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। पांचवा भाग विदेशी व्यापार से संबंधित है। इस भाग में छ: अध्याय हैं। इनमें भारतीय विदेशी व्यापार की संरचना व दिशा, भुगतान शेष की प्रवृत्तियों, भारत सरकार की विदेश व्यापार नीति, विदेशी पूंजी से संबंधित नीति, बहुराष्ट्रीय निगमों व विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम, विश्व व्यापार संगठन, इत्यादि का विस्तृत आलोचनात्मक अध्ययन किया गया है। पुस्तक का छठा भाग ‘मुद्रा बैंकिंग और लोकवित्त’ से संबंधित है। इसमें दस अध्याय हैं जिनमें योजनाकाल में कीमतों की प्रवृत्ति, भारतीय मुद्रा बाजार, पूंजी बाजार, व्यापारिक बैंकिंग, भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय कर ढांचा, लोक व्यय, सार्वजनिक ऋण, राजकोषीय नीति और केंद्र-राज्य संबंधों पर विस्तृत व विश्लेषणात्मक चर्चा प्रस्तुत की गई है। इसमें पन्द्रहवे वित्त आयोग की सिफारिशों का विवरण भी दिया गया है। पुस्तक का अंतिम भाग (भाग VII) ‘आर्थिक योजना और नीति’ पर है। इसमें छ: अध्याय है। योजना के तर्काधार, विशेषताओं पर उद्देश्यों की चर्चा से शुरू करते हुए, हमने विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में परिकल्पित विकास की रणनीति पर चर्चा की है। इसके बाद काले धन की समस्या (नोटबंदी पर चर्चा सहित), स्वतंत्रता के बाद की अवधि में आर्थिक प्रदर्शन का आकलन, आर्थिक सुधारों और उदारीकरण की चर्चा, भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 महामारी का प्रभाव, पर चर्चा की गई है।

विषय सूचि –

भाग I : आर्थिक संवृद्धि और विकास: एक सैद्धांतिक विवेचन
१. आर्थिक संवृद्धि, विकास और अल्पविकास
२. आर्थिक और मानव विकास
३. पर्यावरण तथा विकास
भाग II : भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना
४. उपनिवेशवाद और अल्पविकास
५. भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वरूप
६. प्राकृतिक संसाधन
७. आर्थिक संरचना
८. जनसंख्या और आर्थिक विकास
९. व्यावसायिक संरचना और शहरीकरण
१०. मानव संसाधन विकास – शिक्षा तथा स्वास्थ्य
११. भारत में रोजगार एवं बेरोजगारी
१२. भारत में पूँजी निर्माण
१३. भारत की राष्ट्रीय आय
१४. भारत में आय और असमानताएं
१५. भारत में गरीबी
भाग III : कृषि क्षेत्र का विकास व समस्याएं
१६. भारतीय कृषि: भूमिका, स्वरूप तथा फसलों का ढांचा
१७. भारतीय कृषि नीति के विभिन्न पहलू व चुनौतियां
१८. कृषि उत्पादन तथा उत्पादकता
१९. भूमि सुधार
२०. कृषि आगत और हरित क्रांति
२१. कृषि वित्त
२२. कृषि पदार्थों का विपणन
२३. कृषि कीमतें और कृषि कीमत निति
२४. भारत में खाद्य सुरक्षा एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली
२५. खेतिहर मजदूर
भाग IV : भारत में औद्योगिक क्षेत्र तथा सेवा क्षेत्र
२६. योजनाकाल में भारत का औद्योगिक विकास
२७. औद्योगिक नीति
२८. भारत में सार्वजनिक क्षेत्र और निजीकरण की नीति
२९. प्रमुख बड़े उद्योग
३०. लघु तथा कुटीर उद्योग
३१. निजी क्षेत्र से संबंधित मुद्दे
३२. भारत में औद्योगिक अस्वस्थता
३३. औद्योगिक वित्त
३४. औद्योगिक श्रम
३५. भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र
भाग V : विदेश व्यापार
३६. भारत का विदेशी व्यापार: मूल्य, संरचना और दिशा
३७. भुगतान-शेष
३८. भारत सरकार की व्यापार नीति
३९. विदेशी पूँजी और सहायता
४०. बहुराष्ट्रीय निगम, विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम तथा विदेशी विनिमय प्रबन्धन अधिनियम
४१. भूमंडलीकरण और विश्व व्यापार संगठन
भाग VI : मुद्रा, बैंकिंग और लोकवित्त
४२. भारत में मुद्रा की पूर्ति और कीमतें
४३. भारतीय मुद्रा बाजार
४४. भारतीय पूँजी बाजार
४५. भारत में वाणिज्यिक बैंकिंग
४६. भारतीय रिजर्व बैंक
४७. भारतीय कर ढांचा
४८. भारत में लोक व्यय
४९. भारत का सार्वजनिक ऋण
५०. भारत की राजकोषीय नीति
५१. केंद्र-राज्य वित्तीय सम्बन्ध
भाग VII : आर्थिक आयोजन तथा विकास
५२. आर्थिक आयोजन: तर्काधार, विशेषताएं एवं उद्देश्य
५३. आयोजन की युक्ति
५४. भारत में काले धन की समस्या
५५. स्वतंत्रता के ७५ वर्ष: आर्थिक निष्पादन की समीक्षा
५६. आर्थिक सुधार तथा उदारीकरण
५७. कोरोना और भारतीय अर्थवयवस्था

ISBN

Year of publication

2025

Edition

Thirty Seventh

Pages

844

Weight

1506 (In Grams)

Book Code

,

Student Dollar Price

40

Library Dollar Price

100

Type

,

Author

Bharat Garg,

S. K. Misra,

V.K. Puri

Publisher

Himalaya pub